
असम के कछार ज़िले में एक 45 वर्षीय विकलांग व्यक्ति, निर्मल नमशूद्र की संदिग्ध मौत ने राज्य भर में हलचल मचा दी है।
BSF के चार जवानों पर उन्हें हिरासत में पीट-पीटकर मार डालने का गंभीर आरोप लगा है।
FIR दर्ज, पुलिस और BSF दोनों ने शुरू की जांच
कटिगोरा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है और घटना की जांच स्थानीय पुलिस के साथ-साथ BSF ने भी अपने स्तर पर शुरू कर दी है।
SP कछार, नुमल महत्ता ने कहा, “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद मौत के कारण स्पष्ट होंगे। फिलहाल हर पहलू की जांच चल रही है।”
परिवार का आरोप: “उठा ले गए, पीटा, धमकाया और मार डाला”
मृतक के भाई श्रीमत रॉय ने अपनी शिकायत में लिखा है:
“BSF जवानों ने निर्मल को ज़बरदस्ती गाड़ी में खींचा और रोकने पर लोगों को राइफल दिखाकर धमकाया। अगले दिन उसकी लाश मिली।”
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, और मांग की जा रही है कि जवानों पर हत्या का केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
BSF का बचाव: “हमने घायल हालत में पाया और बचाया”
BSF मिज़ोरम और कछार फ्रंटियर के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल एहसान शाहिदी का बयान सामने आया है:
“हमारी गश्ती टीम ने निर्मल को नशे की हालत में घायल पाया और हॉस्पिटल पहुंचाया। परिवार की सहायता भी की। यातना के आरोप निराधार हैं।”
उन्होंने बताया कि एक आंतरिक जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है, जिसमें DIG स्तर के अधिकारी और एक डॉक्टर शामिल हैं।
सवाल जो खड़े हो रहे हैं:
-
क्या यह सच में यातना से मौत का मामला है?
-
क्या BSF की “बचाव वाली कहानी” भरोसे के काबिल है?
-
क्या कमजोर वर्ग और विकलांग नागरिकों के मानवाधिकार सुरक्षित हैं?
इस मामले ने बीएसएफ़ जैसे सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इंसाफ जरूरी है, जवाबदेही और भी ज़रूरी
निर्मल नमशूद्र की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह है। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि जांच निष्पक्ष होती है या नहीं, और क्या दोषियों को सज़ा मिलेगी।